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लेखनी कहानी -20-May-2023 अलविदा नोट 2000

हमारे शास्त्र कहते हैं कि आया है सो जायेगा,  राजा रंक फकीर । मृत्यु अवश्यंभावी है । यही शाश्वत सत्य है । पर असामयिक निधन हृदय विदीर्ण कर देता है । अभी अभी ज्ञात हुआ है कि नोट 2000 को कैंसर की बीमारी हो गई है और डॉक्टरों ने उसकी मृत्यु की तिथि भी निश्चित कर दी है 30 सितंबर । कितने से दिन बचे हैं अब । ले देकर चार साढे चार महीने । अभी तो उम्र ही क्या है इसकी ? केवल साढे आठ साल । यह भी कोई आयु है मरने की ? बेचारे ने अपना बचपन भी पूरा नहीं जिया । अभी तो इसके दूध के दांत भी सारे नहीं टूटे थे । इतनी कम उम्र में देहावसान होने पर घरवालों पर क्या बीतती है, पता है किसी को ? 
नोट परिवार के सब नोट इकठ्ठे होकर नोट 2000 के इर्द-गिर्द बैठ गये । कोई उसे सांत्वना देने लगा तो कोई जीवन की निस्सारता पर प्रवचन करने लगा । कोई गीता का पाठ करने लगा तो कोई उसे गंगाजल का आचमन कराने लगा । किसी किसी ने 11 एकादशी करने का संकल्प भी ले लिया था । बड़ा ही गमगीन माहौल था । 

सौ का नोट सबसे बुजुर्ग था इसलिए पहले वही बोला "हमें देखो । हमारे पैर कब्र में लटके पड़े हैं पर मौत हमारी तरफ देखती भी नहीं है । सन 2016 में बेचारे 1000 के नोट को मौत लील गई । उसे तो सांस लेने को भी वक्त नहीं दिया । एक पल में ही चट्ट पट्ट कर गई । मौत तो 500 के नोट को भी आई थी मगर उसका तो पुनर्जन्म हो गया । वह तो बूढे से बालक बनकर मस्त जिंदगी जी रहा है । दोनों जुड़वा पैदा हुए थे । मगर मौत को नोट 2000 पसंद आया और उसने उसका वरण कर लिया । हाय हाय मौत, तेरा सत्यानाश हो जाए" । 100 का बूढा नोट फूट फूटकर रोने लगा । 

50 का नोट भी दुखी था । कहने लगा "उम्र में यद्यपि नोट 2000 छोटा था पर गुणों में बहुत बड्रा था । मेरे जैसे 40 नोटों के बराबर वह अकेला ही था । वह जिसके पास होता था, उस नोट का मालिक खुद को मुगले आजम समझता था । आज जब वह कैंसर से पीड़ित होकर आखिरी सांसें गिन रहा है तो नोट 2000 के मालिकों में हड़कंप मचा हुआ है । वे कंगाल होने की कगार पर आ गये हैं । ये नोट 2000 खुद भी मर रहा है और लोगों को भी मार रहा है । हमें देखो , हम अजर अमर हैं । न जाने कब से हम लोग खेला कर रहे हैं । हम जब मरेंगे तो हमारी मौत पर कोई आंसू बहाने वाला भी नहीं होगा पर 2000 के नोट के लिए कुछ लोग विधवा की तरह बिलख रहे हैं । मौत तो वही अच्छी होती है जिस पर लोग रोयें । जब 500 और हजार के नोटों की मृत्यु हुई थी तब भी लोग बहुत रोये थे । आज शायद उतना रुदन नहीं हो रहा है । यह मनुष्य के असंवेदनशील होने का प्रमाण है" । 

नोट 2000 का हाल देखकर नोट 500 भी थर थर कांपने लगा । उसे भी डर लगने लगा कि कहीं उसकी भी अकाल मौत तो नहीं हो जाएगी ? पर उसे सबने ढांढस बंधाया और कहा "तुम तो अर्थव्यवस्था की जान हो । तुम पर ही तो सब कुछ टिका है इसलिए तुम्हें मौत नहीं आएगी । यदि आ भी गई तो वेंटिलेटर पर रखकर तुम्हें तब तक जिंदा रखा जाएगा जब तक नेताओं के पास तुम रहोगे । बेचारे दस और बीस के नोट भी भयभीत थे पर वे अपना गम भूलकर पांच के नोट को सांत्वना दे रहे थे । पांच का नोट तो बच्चा ही था न इसलिए वह कुछ ज्यादा ही डर गया था । एक और दो के नोटों का तो कुछ अता पता ही नहीं था । उन्हें कोई पूछता ही नहीं था इसलिए वे अपनी उपेक्षा के कारण घर छोड़कर भाग गये थे । 

अब नोटों का पूरा परिवार नोट 2000 की सेवा में लगा हुआ है । हर कोई कैंसर पीडित व्यक्ति "आनंद" फिल्म के राजेश खन्ना जैसा दिलेर नहीं होता है जो जिंदगी के हर एक पल का आनंद लेता है । इतने बहादुर लोग कम ही होते हैं बाबू मोशाय । अधिकतर तो मौत के नाम से ही रो देते हैं । देखते हैं कि ये नोट 2000 कितनी जिंदादिली दिखाता है । आओ , इसके लिए दो मिनट का मौन रख लें । अलविदा नोट 2000 

श्री हरि 
20.5.23 

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2 Comments

Punam verma

20-May-2023 09:33 PM

🙏🙏🙏

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Hari Shanker Goyal "Hari"

21-May-2023 12:05 PM

🙏🙏

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